मेरी अपनी कही
Wednesday, June 3, 2009
माहौल.....
माहौल इतना व्यस्त है,
जिधर देखो हर कोई त्रस्त है,
संवरे तो ज़िन्दगी,
बिगडे तो याद आती खुदा की बंदगी,
इन्सान अपने में खोया है इतना,
कि भगवान् भी याद नही आता है,
कमज़ोर हो चुकी है नज़र इतनी,
कि अपना भी पराया नज़र आता है,
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