Tuesday, December 29, 2009

किस्मत

मेरी किस्मत में जन्नत न थी,
पर ख्वाहिश भी किसे थी,
जिसे मैंने चाहा था,
वो ही मुझे न मिली|

बाग़ में जो फूल थे,
वो मुझे नापसंद थे,
मैंने जिस कली को सीचा था,
वो ही कली न खिली|

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